बनभोरी मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: bhanbhori, Banbhori, Haryana 125121.
  • Open and Close Timings: Summer - 04:00 am to 09:00 pm and Winter - 05:00 am to 09:00 pm
  • Nearest Railway Station : Uchana Railway Station at a distance of nearly 16.9 kilometres from Banbhori Temple.
  • Nearest Airport : Indira Gandhi International Airport at a distance of nearly 190 kilometres and Hisar Airport at a distance of nearly 50.4 kilomietres from Banbhori Temple.
  • Did you know: Banbhori temple is about 400 years old. It is said that the idol of the mother is self-imposed, that is, the idol of the mother was revealed from the earth.

बनभौरी मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि माता भ्रामरी देवी को समर्पित है। यह मंदिर एक ऐतिहासिक शक्तिपीठ माता भ्रामरी देवी मंदिर है जो भारत के राज्य हरियाणा के बनभौरी गांव स्थित है। इस मंदिर में 24 घण्टे अखण्ड ज्योति जलती रहती है। यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है जिसकी मान्यता देश-विदेश फैली हुई है।

इस मंदिर की सेवा ब्राह्मण परिवार द्वारा किया जाता था, परन्तु 2018 में इस मंदिर की देख रेख का कार्य भार अब हरियाणा सरकार की देख रेख में किया जाता है। सरकार द्वारा बनाई गई ‘जय मां बनभौरी मंदिर सोसायटी’ अब इस मंदिर का संचालन का कार्य करती है।

बनभौरी मंदिर में साल में दो बार मेला का आयोजन किया जाता है जो नवरात्री के दौरान किया जाता है। इस दौरान लाखों लोग माता के दर्शन हेतु भारत के कई राज्यों से श्रद्वालु आते है।

ऐसा कहा जाता है कि माता की मूर्ति स्वंयभू है अर्थात् माता की मूर्ति धरती से प्रकट हुई थी। इस मंदिर श्रद्वालु माता से अपनी मन्नत मांगते है और मन्नत पूरी होने पर श्रद्वालु अपने अनुसार मंदिर में दान या भंडारे का आयोजन करता है।

भ्रामरी देवी, मां भगवती का ही एक अवतार है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक अरूणासुर नाम के एक असुर था जो अपनी मां का पुनः जिन्दा करना चाहता था जिसके लिए उसने कई अनुचित कार्य किये थे। अरूणासुर ने ब्राह्मजी की घोर तपस्या की। ब्राह्मजी ने अरूवासुर की तपस्या के फलस्वरूप वर मांगने का कहा तो अरूणासुर ने वर में मांगा की मेरी इच्छा के बिना कोई भी देवी देवता उसके राज्य में ना आ सके और कोई भी जीव जिसके एक, दो, तीन व चार पैर वाला मुझे ना मार सके। ब्राह्मजी ने ऐसा वरदान दे दिया उसके बाद अरूणासुर ने बहुत अनुचित कार्य किये जिससे सभी देवी देवता पर दुर्ष प्रभाव पड़ा। अरूणासुर ने अपनी मां को पुनः जिन्दा करने के लिए माता पार्वती की तपस्या की और अपने राज्य में आमंत्रित किया। अरूणासुर ने कुछ अनुचित कार्य किये जिससे माता ने भ्रामरीदेवी का अवतार लिया और अरूणासुर का वद किया। इस प्रकार माता पार्वती ने भ्रामरीदेवी का अवतार लिया और सभी देवी देवताओं की रक्षा करी।




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