मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पठानकोट

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: गाँव डूंग, धार कलां, जुगियाल, शाहपुर कंडी, पठानकोट पंजाब -145029।
  • मंदिर खुलने व बन्द होने का समय: 24 घंटे खुला।
  • आरती का समय: सुबह 05:30 बजे से सुबह 6:00 बजे तक और शाम 07:00 बजे तक।
  • भोजन / लंगर सुविधा: लंगर सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक उपलब्ध है। दाल - चवाल को लंगर भोजन के रूप में परोसा जाता है।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: पठानकोट जंक्शन, जो मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से लगभग 24 किमी दूर है।
  • निकटतम हवाई अड्डा: पठानकोट हवाई अड्डा पंजाब, जो मुक्तेश्वर महादेव मंदिर से लगभग 38.8 किमी दूर है।
  • क्या आप जानते हैं: यह मंदिर एक गुफा मंदिर है और ये गुफाएँ लगभग 5500 साल पुरानी हैं, जो पांडवों द्वारा निर्मित हैं।

मुक्तेश्वर महादेव मंदिर एक हिन्दू मंदिर है, जिसे मुक्तसर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भारत के राज्य पंजाब के शाहपुर कंडी डैम रोड पर पठानकोट सिटी के पास स्थित है। यह एक शिव मंदिर है जो कि मानव निर्मित गुफा परिसर का एक लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर रवि नदी के किनारे पर स्थित है। जिससे इसकी सुन्दरता और वार्तावारण अतुल्यनिय है। इस मंदिर में गणेश, ब्रह्मा, विष्णु, हनुमान और माता पार्वती कि मूर्ति स्थिपित हैं। मुक्तेश्वर महादेव मंदिर को पठानकोट के आसपास के सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। यह मंदिर एक गुफा मंदिर है और यह गुफाएँ लगभग 5500 साल पुरानी है, जो पांडवों द्वारा निर्मित है।

यह मंदिर पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच में स्थित है। रवि नदी के दुसरा किनारा जम्मू-कश्मीर का है। जहां मंदिर स्थित है वह पंजाब में आता है। गुफा मंदिर तक सीढ़ीयों द्वारा जाया जाता है। मंदिर के आस-पास का प्राकृतिक का सौन्द्रर्य अद्भुत है।

किंवदंती के अनुसार, पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान गुफाओं में रहे थे, और कहा जाता है कि कुछ गुफाएँ महाभारत के समय की हैं। उन गुफाओं में इस मंदिर का नाम भी आता है। पांडव अज्ञातवास के दौरान जिन गुफाओं में रहें थे उन गुफाओं में पांडवों ने शिवलिंग की स्थिापना की थी और भगवान शिव की पूजा की थी।

एक किंवदंती है कि भगवान शिव ने यहां एक राक्षस का वध किया था और उसे मुक्ति (मुक्ति) प्रदान की थी। हिंदी में मुक्तेश्वर शब्द का अर्थ है ‘मुक्ती का देवता या मोक्ष के भगवान’, इस प्रकार यह मोक्ष का मंदिर है।
इस जगह को छोटा हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है। जो लोग हरिद्वार में अपने परिजनों की राख विसर्जन नहीं कर सकते, वे इसे मुक्तेश्वर महादेव मंदिर में रवि नदी में प्रवाहित करते हैं।

बैसाखी त्योहार को चिह्नित करने के लिए एक मेला, जिसे मुकेशरन दा मेला कहा जाता है, अप्रैल के महीने में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। साथ ही, हर साल शिवरात्रि के दिन एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता है, इसके बाद दो और उत्सव, चैत्र चोदिया और नवरात्रि होते हैं। सोमवती अमावस्या मंदिर समिति द्वारा आयोजित एक और बड़ा मेला है। पूरे पंजाब और आसपास के राज्यों हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के कई तीर्थयात्री यहाँ पूजा करने आते हैं।




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