नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Daarukavanam, Gujarat 361345
  • Temple Opening and Closing Timings: 06:00 to 12.00 Noon and 05.00 pm to 09:00 pm.
  • Aarti Timings: 05:00 am and 07:00 pm.
  • Nearest Airport: Jamnagar airport at a distance of nearly 45 kilometres from Nageshvara Temple.
  • Nearest Railway Station: Dwarka Railway Station at a distance of nearly 118 kilometres from Nageshvara Temple.
  • How to reach to the temple: You can reach to the temple by having taxi.
  • Best Time ot Visit: Best time to visit  Early morning, before 7:00 am.
  • Important festival: Maha Shivaratri
  • Primary deity: Shiva

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर एक हिन्दूओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है यह मंदिर पूर्णतः भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर गुजरात के जिले जामनगर में द्वारका धाम से 17 किलोमीटर के दूरी पर स्थित है। नागेश्वर मंदिर में स्थित ज्योति लिंग भगवान शिव के 12 ज्योति लिंग में से है तथा 12 ज्योति लिंगों में से नागेश्वर को दसवां ज्योति लिंग माना जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर होता है। शास्त्रों में भगवान शिव के इस ज्योति लिंग के दर्शनों की बड़ी महिमा बताई गई है।

नागेश्वर मंदिर के पुनः निर्माण 1996 में सुपर केसेट्स इंडस्ट्री के मालिक स्वर्गीय श्री गुलशन कुमार ने करवाया था। मंदिर के कार्य के बीच में ही श्री गुलशन कुमार मृत्यु हो जाने के कारण उनके परिवार ने इस मंदिर का कार्य पूर्ण करवाया था। मंदिर के पुनः निर्माण के कार्य की लागत गुलशन कुमार चेरिटेबल ट्रस्ट ने दिया था। नागेश्वर मंदिर के विशेषता यहां स्थापित भगवान शंकर की प्रतिमा है जो लगभग 125 फीट ऊँची तथा 25 फीट चैड़ी है।

मंदिर के अन्दर एक गर्भगृह है जो सभामंड़प से निचले स्तर पर स्थित है। इस गर्भगृह में ही भगवान शंकर का लिंग स्थापित है। अगर किसी व्यक्ति को अभिषेक करवाना होता है तो केवल पुरुष को धोती पहन कर प्रवेश कर सकता है। मात्र दर्शन हेतु को भी पुरुष व महिला भारतीय पोशाक में गर्भगृह में जा सकता है।

मंदिर में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यम बड़े आकार का है जिसके ऊपर एक चांदी का आवरण चढ़ा है। ज्योतिर्लिंग पर ही एक चांदी के नाग की आकृति बनी हुई है। ज्योतिर्लिंग के पीछे माता पार्वती की मूर्ति स्थापित है।

पौराणिक कथा के अनुसार सुप्रिय नाम एक वैश्व था। वह भगवान शिव का परम भक्त था तथा अपने सारे कार्य भगवान शिव को अर्पित करके ही करता था। वह मन, वचन और कर्म से पूर्णतः भगवान शिव में लिन रहता था। उसकी इस भक्ती से दारुक नाम का एक राक्षस बहुत कोध्री रहता था।

दारुक राक्षस को भगवान शिव की पूजा किसी प्रकार भी अच्छी नहीं लगती थी। वह निरन्तर इस बात का प्रयत्न किया करता था कि उस सुप्रिय की पूजा-अर्चना में विघ्न पहुँचे। एक बार सुप्रिय नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था। उस दुष्ट राक्षस दारुक ने यह उपयुक्त अवसर देखकर नौका पर आक्रमण कर दिया। उसने नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में ले जाकर कैद कर लिया। सुप्रिय कारागार में भी अपने नित्यनियम के अनुसार भगवान शिव की पूजा-आराधना करने लगा।

इससे राक्षस क्रोधित हो गया सुप्रिया को भगवान शिव का ध्यान करते देखकर और कोध्रित हो गया जब राक्षस कारागार में पहुंचा तो भी धर्मात्मा शिवभक्त सुप्रिय की समाधि भंग नहीं हुई। इससे दारुक राक्षस क्रोध से एकदम पागल हो उठा। उसने तत्काल अपने अनुचरों को सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया। सुप्रिय उसके इस आदेश से जरा भी विचलित और भयभीत नहीं हुआ।

वह एकाग्र मन से अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान शिव से प्रार्थना करने लगा। उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान शंकरजी तत्क्षण उस कारागार में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए।

उन्होंने इस प्रकार सुप्रिय को दर्शन देकर उसे अपना पाशुपत-अस्त्र भी प्रदान किया। इस अस्त्र से राक्षस दारुक तथा उसके सहायक का वध करके सुप्रिय शिवधाम को चला गया। भगवान् शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के स्थान को लेकर भक्तों में एक मत नहीं है। कुछ लोग मानते हैं की यह ज्योतिर्लिग महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित औंढा नागनाथ नामक जगह पर है तथा अन्य लोगों का मानना है की यह ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा के समीप जागेश्वर धाम नामक जगह पर स्थित है, इन सारे मतभेदों के बावजूद प्रति वर्ष लाखों की संख्या में भक्त गुजरात में द्वारका के समीप स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन, पूजन और अभिषेक के लिए आते हैं।




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