पाताल भुवनेश्वर मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: पाताल भुवनेश्वर Rd, पाताल भुवनेश्वर, उत्तराखंड 262522।
  • समय: सर्दियों: सुबह 08:00 से शाम 5:00 तक और ग्रीष्मकाल: सुबह 07:00 से शाम 06:00 तक।
  • त्योहार के समय के दौरान खुलने और बंद होने का समय अलग-अलग होगा।
  • यात्रा करने का सर्वोत्तम समय: फरवरी से नवंबर के महीने में।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: पाताल भुवनेश्वर से लगभग 192 किलोमीटर की दूरी पर काठगोदाम रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: पाताल भुवनेश्वर से लगभग 226 किलोमीटर की दूरी पर पंतनगर हवाई अड्डा।
  • क्या आप जानते हैं: भूमिगत गुफा भगवान शिव और तैंतीस करोड़ देवताओं का निवास स्थान है।

पाताल भुवनेश्वर भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलिहाट से 14 किलोमीटर दूर एक चूना पत्थर गुफा मंदिर है। यह भुवनेश्वर गांव में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि यह भूमिगत गुफा भगवान शिव और तैतीस कोटी देवताओं (हिंदू संस्कृति में 33 करोड़ प्रकार के देवताओं) का निवास स्थान है। गुफा की लम्बाई लगभग 160 मीटर और गहराई 90 फीट है। इसके बाद भी गुफा में आॅक्सीजन की कोई कमी नहीं है। पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर है। चूना पत्थर के चट्टानों के निर्माण ने विभिन्न रंगों और रूपों के विभिन्न शानदार स्टैलेक्टसाइट और स्टालाग्माइट आकृतिया बनी हुई हैं। इस का रास्ता संकीर्ण सुरंग की तरह है जो अन्दर कई गुफाओं की ओर जाता है।

इस गुफा में एक संकीर्ण सुरंग की तरह खुलने वाला है जो कई गुफाओं की ओर जाता है। गुफा पूरी तरह से विद्युत् रूप से प्रकाशित है। पानी के प्रवाह से निर्मित, पाताल भुवनेश्वर गुफाओं के भीतर गुफाओं की एक श्रृंखला है।

ऐसा कहा जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में दर्शन करने से काशी, बैद्यनाथ या केदारनाथ में तपस्या के हजार गुना फल मिलता है। स्कंद पुराण में, मानस कंद, अध्याय 103, पाताल भुवनेश्वर जाने में आशीर्वाद प्राप्त करने का विवरण है।

ऐसा माना जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में पूजा करने से चार धाम की यात्रा के बराबर पुन्य मिलता है। जो व्यक्ति शाश्वत शक्ति की उपस्थिति महसूस करना चाहता है वह रामगंगा, सरयू और गुप्त-गंगा के संगम के निकट स्थित पवित्र भुवनेश्वर में आना चाहिए। मानसखंड, स्कंदापुराण, जिनके 800 छंद पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख करते हैं।

इस गुफा को खोजने वाला पहला इंसान राजा ऋतुपुर्ण था जो सूर्य वंश में राजा था जो ‘त्रैता युग’ के दौरान अयोध्या पर शासन करते थे। जिसका उल्लेख मानसखंड और स्कंद पुराण में किया गया है।

1191 ई. में आदि शंकराचार्य ने इस गुफा को दोबारा खोजा। यह पाताल भुवनेश्वर में आधुनिक तीर्थ इतिहास की शुरुआत थी। गुफा के अन्दर शेषनाग के पत्थर के निर्माण को देखा जा सकता है। गुफा में हवन कुंड, केदारनाथ, बद्रीनाथ, माता भुवनेश्वरी, आदि गणेश, भगवान शिव की जटायें, सात कुंड, मुक्ति द्वार, धर्म द्वार व अन्य देवी देवाताओं के आकृतियों को देखा जा सकता है।




Shiv Festival(s)
















2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं