यह श्लोक भगवद गीता, अध्याय 7, श्लोक 9 से है। यह संस्कृत में लिखा गया है और हिंदी में इसका अनुवाद इस प्रकार है:
पुण्यो गन्ध: पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ |
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ||9||
हिंदी अनुवाद:
"मैं पृथ्वी में पवित्र (शुद्ध) गंध हूँ, अग्नि में तेज हूँ, सभी प्राणियों में जीवन हूँ और तपस्वियों में तप हूँ।"
व्याख्या विस्तार से:
भगवान श्रीकृष्ण यहाँ बता रहे हैं कि कैसे वे हर तत्व और गुण में व्याप्त हैं।
- पृथ्वी की सुगंध — उनकी शक्ति का प्रतीक है।
- अग्नि का तेज — उनकी दिव्यता को दर्शाता है।
- प्राणियों में जीवन — यही उनकी चेतना का परिचायक है।
- तपस्वियों में तप — आत्मसंयम और साधना की शक्ति भी वही हैं।
यह श्लोक बताता है कि भगवान स्वयं सभी दिव्य गुणों और तत्वों में निहित हैं।
संस्कृत शब्दों का हिंदी अर्थ:
- पुण्यो- शुद्ध, पवित्र
- गंधः- सुगंध
- पृथिव्यां- पृथ्वी में
- च- तथा
- तेज - चमक, आभा
- च- तथा
- अस्मि- मैं हूँ
- विभावसौ- अग्नि में
- जीवनम्- जीवन-शक्ति, प्राणशक्ति
- सर्वभूतेषु- सभी प्राणियों में
- तपः- तपस्या, प्रायश्चित्त
- च- तथा
- अस्मि- मैं हूँ
- तपस्विषु- में तपस्विनी, जो तपस्या करते हैं