राधा रानी मंदिर बरसाना

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: राधा बाग मार्ग, बरसाना, उत्तर प्रदेश 281405।
  • ग्रीष्म समय - सुबह 05:00 से दोपहर 02:00 और शाम 05:00 से रात 09:00 तक,
  • शीतकालीन समय - सुबह 05:30 से दोपहर 02:00 और शाम 05:00 से रात 08:30 तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: मथुरा रेलवे स्टेशन, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 50.7 किमी दूर है।
  • निकटतम हवाई अड्डा: इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 150 किमी दूर है।
  • पंडित दीन दयाल उपाध्याय हवाई अड्डा आगरा, जो राधा रानी मंदिर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है।
  • क्या आप जानते हैं: भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी को जन्माष्टमी के 15 दिन बाद राधा रानी का जन्म हुआ था। राधा रानी मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 ई. में करवाया था।

राधा रानी मंदिर जो कि, एक हिन्दूओं का धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, मथुरा, बरसाने में स्थित है। यह मंदिर राधा को पूर्णतयः समर्पित है। यह स्थान कृष्णा के भक्तों के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। राधा रानी मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी ऊँचाई लगभग 250 मीटर है। जो कि बरसानें के बीचों बीच है, इसलिए इस पहाड़ी को बरसाने का मस्तिष्क कहा जाता है। राधा रानी मंदिर को ‘बरसाने की लाड़ली का मंदिर’ व ‘राधा रानी का महल’ भी कहा जाता है।

यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण राजा वीर सिंह ने 1675 ई0 में करवाया था। मंदिर के निर्माण हेतु लाल व सफेद पत्थरों को प्रयोग किया गया है, जिनको राधा व श्री कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। मंदिर तक सीढियों द्वारा जाया जाता है जिनकी संख्या लगभग 108 है।

राधा रानी के पिता का नाम वृषभानु और माता का नाम कीर्ति है। राधा रानी का जन्म जन्माष्टमी के 15 दिन बाद भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था। इसलिए बरसाने के लोगों के लिए, यह स्थान व दिन अति महत्वपूर्ण है। इस दिन राधा रानी के मंदिर को फुलों से सजाया जाता है। राधा रानी को छप्पन प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद राधा रानी को चढाया जाता हैं। उस प्रसाद को सबसे पहले मोर का खिलाया जाता है। क्योंकि मोर को राधा-श्रीकृष्ण का स्वरूप माना जाता है। बाद में प्रसाद को श्रद्धालुओं को दिया जाता है।

राधा रानी मंदिर में, श्री कृष्ण जन्माष्टमी और राधा रानी जन्माष्टमी विशेष रूप से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बरसानें में होली का त्यौहार विशेष होता है। क्योंकि बरसाने की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। बरसाने में लट्ठमार होली खेली जाती है, जिसकी शुरूआत 16वीं शताब्दी में हुई थी। त्यौहार के दिनों में बरसाने का वातावरण बहुत ही खुशी भरा होता है।



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