भगवद गीता अध्याय 2, श्लोक 43

कामात्मान: स्वर्गपरा जन्मकर्मफलप्रदाम् |
क्रियाविशेषबहुलां भोगैश्वर्यगतिं प्रति || 43||

वे वेदों के केवल उन अंशों का महिमामंडन करते हैं, जो उनकी इंद्रियों को प्रसन्न करते हैं, और उच्च ग्रहों की प्राप्ति के लिए धूमधाम से अनुष्ठानिक अनुष्ठान करते हैं, स्वर्गीय ग्रहों को प्राप्त करते हैं।

शब्द से शब्द का अर्थ:

कामात्मान: - कामुक आनंद की इच्छा
स्वर्गपरा - स्वर्गीय ग्रहों को प्राप्त करने का लक्ष्य
जन्मकर्मफल - उच्चतर जन्म और फलदायक
प्रदाम् - पुरस्कृत
क्रियाविशेष - धूमधाम से होने वाला अनुष्ठान समारोह
बहुलां - विभिन्न
भोगै - संतुष्टि
ऎश्वर्या - विलासिता
गतिं - प्रगति
प्रति - की ओर


अध्याय 2







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