करवीर देवी मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित है। यह मंदिर माता दुर्गा को समर्पित है तथा इस मंदिर का नाम प्राचीन सिद्धपीठ में आता है। यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को देवी महिषासुरमर्दनी के रूप पूजा जाता है और भैरव को क्रोधशिश के रूप में पूजा जाता है। करवीर देवी मंदिर को देवी महालक्ष्मी का निज निवास स्थान भी माना जाता है। करवीर देवी मंदिर को महालक्ष्मी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
कोल्हापुर को प्राचीन मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है। यह स्थान पांच नदियों के संगम पर स्थित है जिनको पंचगंगा नदी कहा जाता है। करवीर देवी मंदिर यहां का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मंदिर है, इस स्थान पर त्रीशक्तियों की भी मूर्तियां है। इस स्थान पर कई मंदिर है जैसे विश्वेश्वर मंदिर, व्यंकटेश, कात्यायिनी और गोरीशंकर तथा मंदिर परिसर में अनेक देवी देवताओं की मूर्तियां है। करवीर क्षेत्र का विवरण पुराणों में भी मिलता है। देवीगीता में इस उल्लेख इस प्रकार है।
‘‘कोलापुरे महास्थानं यत्र लक्ष्मीः सदा स्थिता।’’
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती की तीसरी आंख इस स्थान पर गिरी थी।
ऐसा माना जाता है कि ‘करवीर क्षेत्र माहात्म्य’ तथा ‘लक्ष्मी विजय’ के अनुसार कौलासुर दैत्य को वर प्राप्त था कि वह स्त्री द्वारा ही मारा जा सकेगा, अतः भगवान विष्णु ने महालक्ष्मी का अवतार लिया और इस स्थान पर युद्ध में उसका संहार कर दिया। राक्षस ने मृत्यु से पहले देवी महालक्ष्मी से प्रार्थना की इस स्थान का नाम राक्षस के नाम पर कर दिया जाये। देवी ने राक्षस को वर दे दिया और वहां स्वयं भी इस स्थान पर निवास करने लगी। तब इसे ‘करवीर क्षेत्र’ कहा जाने लगा। जो बाद में ‘कोल्हापुर’ हो गया। माँ को कोलासुरा मर्दिनी कहा जाने लगा।
पद्मपुराणानुसार यह क्षेत्र 108 कल्प प्राचीन है एवं इसे महामातृका कहा गया है, क्योंकि यह आदिशक्ति का मुख्य पीठस्थान है।
करवीर मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।