विठोबा मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित है। विठोबा मंदिर को आधिकारिक तौर पर श्री विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के रूप में जाना जाता हैै। इस मंदिर का नाम महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मंदिरों में आता है। यह मंदिर पूर्णतः भगवान श्री विष्णु जी को समर्पित है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान श्री विष्णु के रूप है जिसे विठोबा कहा जाता है। विठोबा को भगवान श्री कृष्ण की अभिव्यक्ति के रूप में माना जाता है। इस मंदिर में श्री विठोबा के साथ उनकी पत्नी रुक्मिणी के साथ कई मूर्तियों को मंदिर में देखा जा सकता है।
विठोबा मंदिर में भगवान श्री गणेश, गरुड़ और हनुमान के भी मंदिर स्थिपित है। इसमें रुक्मिणी देवी, सत्यभामा देवी, राधिका देवी, भगवान नरसिंह, भगवान वेंकटेश्वर, देवी महालक्ष्मी, नागराज, अन्नपूर्णा देवी के लिए श्राइन भी हैं।
चंद्रभागा या भीमा नदी, जिसके तट पर पंढरपुर मंदिर है, माना जाता है कि सभी पापों को धोने की शक्ति है। सभी भक्तों को विठोबा की मूर्ति के पैर छूने की अनुमति है।
मंदिर के कुछ भाग 12 वीं या 13 वीं शताब्दी के हैं, मौजूदा संरचना मुख्य रूप से 17 वीं शताब्दी या उसके बाद की है, और बाद के डेक्कन शैली को दर्शाती है, जिसमें गुंबददार आकृति और लोब वाले मेहराब हैं।
विठोबा पंढरपुर में कैसे आये, यह एक कहानी के द्वारा जानते है जिसमें पुंडलिक महत्वपूर्ण है। पुंडलिक अपने माता पिता जानुदेव और सत्यवती के एक मात्र पुत्र था। जो एक दंडीरवन नामक जंगल में रहते थे। पुंडलिक अपनी शादी के बाद अपने माता पिता से बुरा व्यवहार करता था। एक दिन उसके माता पिता उसके इस दुर्व्यवहार से परेशान आकर भगवान शिव की नगरी काशी में जाना चाहते थे, परन्तु उनके पुत्र पुंडलिक को पता चल गया। पुंडलिक ने भी अपनी माता पिता के साथ काशी जाने को फैसला किया। पुरे रास्ते में पुंडलिक ने अपने माता पिता के साथ दुर्व्यवहार करता रहा। काशी के रास्ते में ऋषि कुक्कुटस्वामी का आश्रम था। पुंडलिक ने इस आश्रम में रूकने का फैसला किया। रात में पुंडलिक के साथ एक घटना घटी जिससे उसके अपने माता पिता के साथ किये दुर्व्यवहार का ऐहसास हुआ। वह अपने माता पिता की सेवा करने लगा। भगवान श्री कृष्ण ने पुंडलिक की परीक्षा ली। जब पुंडलिक अपने माता पिता को भोजन करा रहा था तब भगवान श्री कृष्ण उसके घर के बाहर आये। भगवान श्री कृष्ण के आने का ऐहसास पुंडलिक को गया था। परन्तु जबतक उसने अपने माता पिता को भोजन नहीं करा दिया था तब तक वह बाहर नहीं गया। इस कार्य से भगवान श्री कृष्ण अति प्रसन्न हुये और पुंडलिक को वरदान मांगने को कहा। पुंडलिक ने भगवान श्री कृष्ण से अनुरोध किया कि वह पंढरपुर में रहें और सच्चे भक्तों आर्शीवाद दें। तब भगवान श्री कृष्ण ने विठोबा के रूप में यह रहना स्वीकार किया।
विठोबा के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार आषाढ़ महीने में शयनी एकादशी और कार्तिक महीने में प्रबोधिनी एकादशी पर आयोजित किए जाते हैं। है। मई 2014 में, मंदिर महिलाओं और लोगों को आमंत्रित करने वाला भारत का पहला मंदिर बन गया।