फाल्गुन हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार हिन्दू वर्ष का सबसे अंतिम माह होता है। यह मास फरवरी और मार्च में आता है। फाल्गुन पूर्णिमा का दिन हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व बताया गया है। पूर्णिमा का व्रत हर मास को रखा जाता है और अलग-अलग विधियों द्वारा भगवान की पूजा की जाती है। परन्तु फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत विशेष माना जाता है। इस दिन होलिका का दहन भी किया जाता है।
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद रक्षा की थी औरे होलिका राक्षसी को भस्म किया था।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के व्रत में भगवान नारायण की पूजा का विधान है। सबसे पहले नियमपूर्वक पवित्र होकर स्नान करें। सफेद कपड़े पहने और और आचमन करें, इसके बाद व्रत में ‘ऊँ नमो नारायण’ मंत्र का उच्चारण करें। चाकोर वेदी पर हवन करने के लिए अग्नि स्थापित करें। तेल, घी, बूरा, आदि की आहुति दें।
‘नारद पुराण’ के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को सभी प्रकार की लकडि़यों और उपलों को इकट्ठा करना चाहिए। इसके बाद मंत्रों द्वारा अग्नि में विधिपूर्वक हवन करके होलिका पर लकड़ी डालकर उसमें आग लगा देना चाहिए। जब आग की लपटें बढ़ने लगें तो उसकी परिक्रमा करते हुए खुशी और उत्सव मनाना चाहिए।
फाल्गुन पूर्णिमा के दिन जो व्रती पूरे श्रद्धाभाव और विधि-विधान से व्रत रख कर होलिका दहन करता है, उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।